क्रिप्टोकरेंसी क्या है और भारत में इसकी स्थिति ?

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क्रिप्टोकरेंसी क्या है और भारत में इसकी स्थिति ?

 
हर देश की अपनी एक करेंसी होती है और उस मुद्रा के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था चलती है। आपने मुद्रा के कई रूप देखे होंगे जैसे भारत में रुपए अमेरिका में डॉलर ब्रिटेन में  पौंड,यूरोप में यूरो आदि। इसी तरह से आपने सभी देशों की मुद्राओं को कागज के रूम में या सिक्कों के रूप में देखा होगा । जिसे हम छू सकते हैं या फिर अपनी जेब में रख एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं और हम जहां चाहे वहां इसका उपयोग में ले सकते हैं  इस मुद्रा में  अपने को एक समस्या यह रहती है इसको अपने साथ में रखना पड़ता है जिससे कि चोरी की घटना होने की संभावना रहती है। दूसरी समस्या यह है की आप दुनिया में जहां भी जाए आपको वहां की करेंसी का इस्तेमाल करना होता है जिससे की करेंसी बदलने की समस्या रहती है। ऐसे में आज डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित किया जा रहा है इसी के चलते एक ऐसी डिजिटल करेंसी का दौर शुरू हो गया है जिसे आप देख नहीं सकते और छू नहीं सकते है जिसे  डिजिटल करेंसी कहते हैं इसे ऑनलाइन काम में ले सकते हो । क्रिप्टो करेंसी दरअसल वित्तीय  लेन-देन का एक जरिया है यह बिल्कुल भारतीय रुपए और अमेरिकी डॉलर के समान। अंतर सिर्फ इतना है कि एक आभासी मुद्रा होती है जहां एक और किसी भी देश की करेंसी के लेनदेन के बीच में एक मध्यस्थ संस्था होती है जैसे भारत में आरबीआई (RBI) । लेकिन क्रिप्टो के कारोबार में कोई मध्यस्थ संस्था नहीं होती है और इसे एक नेटवर्क द्वारा ऑनलाइन संचालित किया जाता है यह करेंसी किसी को पलभर में गरीब को अमीर और अमीर को गरीब बना सकती है। यही कारण है कि इसे अनियमित बाजार के तौर पर जाना जाता है। लेकिन इस इन सब के बावजूद भी इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है।

बिटकॉइन का इतिहास

बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई थी। जब यह नई थी तब यह इतनी प्रचलित नहीं थी जितनी आज है। आज इसकी बाजार में जो वैल्यू है शुरुआत में इसकी इतनी वैल्यू नहीं थी। मगर आज बिटकॉइन या किसी भी क्रिप्टो करेंसी की खबर दौड़ने लगती है कि बिटकॉइन में आई गिरावट बिटकॉइन में आई उछाल।बिटकॉइन का शुरुआती दौर 1998 से 2009 के बीच बताया जाता है। हलाकि हम इस बात का दवा नहीं कर रहे हैं। हमें यह जानकारियां रिसर्च पेपर्स, न्यूज़ पेपरों के आर्टिकल, और तमाम वेबसाइटों से प्राप्त हुई है।

बताया जाता है कि सातोशी नकामोतो नाम के व्यक्ति थे जिन्होंने बिटकॉइन की शुरुआत की थी। हालांकि उनके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह कौन है और कहां रहते हैं। आज तक उनके बारे में किसी को भी पता नहीं चल पाया है। कुल मिलाकर उनकी पहचान गोपनीय बनी हुई है।

 आपको बता दें बिटकॉइन मीनिंग एक प्रोसेस है जिसकी मदद से नये बिटकॉइन बनते है और जो उन लोगो को रिवार्ड्सk के तौर पर दिए जाते है जो ब्लॉकचैन पर लेनदेन को वेरीफाई करते है |2008 -2009 में बिटकॉइन अस्तित्व में आई और 2010 में इसका इस्तेमाल होना शुरू हो गया। 


क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं

  • क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल संपत्ति का एक रूप है
  • यह विकेन्द्रीकरण पर आधारित है इसका अर्थ है की इस पर किसी एक व्यक्ति का नियंत्रण नही है अर्थात इसे किसी एक व्यक्ति के द्वारा नियंत्रित नही किया जाता है
  • क्रिप्टोकरेंसी का आदान प्रदान किया जा सकता है
  • यह वर्चुअल है अर्थात यह केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध है
  • इसमें पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) है क्योकि इसके अधिकांश कोड ओपन सोर्स है


  भारत में क्रिप्टो करेंसी का इतिहास और वर्तमान स्थिति।

2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह बैन लगा दिया था लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया। 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरंसी पर गंभीर चिंता जाहिर की इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की ।  इस बैठक के बाद  क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे। 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर चर्चा की गई। इसके बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे ।  इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में  प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की।

 
क्रिप्टो पर किस देश की क्या राय 
  • भारत में क्रिप्टो पर गंभीर चिंता जताई जा रही है।
  • अल साल्वाडोर देश ने बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित कर दिया है
  • अमेरिका में क्रिप्टोकरंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है
  • दक्षिणी कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है
  • चीन इस मुद्रा का लगातार विरोध कर रहा

क्रिप्टो करेंसी से लाभ-हानि हैं

लाभ

हमें पता है कि किसी भी वस्तु के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। इसलिए हम यहां सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी के लाभ के बारे में बताते हैं। फिर भी, आमतौर पर हम कह सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी के लाभ अधिक हैं और घाटा कम। 

(1) क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है जिसमें धोखाधड़ी की उम्मीद बहुत कम होती है। 

(2) अधिक पैसा होने पर क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना फायदेमंद है क्योंकि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल आता है। लिहाजा, निवेश के लिए यह एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। 

(3) अधिकतर क्रिप्टो करेंसी के वॉलेट उपलब्ध हैं जिसके चलते ऑनलाइन खरीदारी, पैसे का लेन-देन सरल हो चुका है। (4) क्रिप्टो करेंसी को कोई अथॉरिटी कंट्रोल नहीं करती जिसके चलते नोटबंदी और करेंसी का मूल्य घटने जैसा खतरा किसी के सामने नहीं आता। 

(5) कई देश ऐसे हैं जहां कैपिटल कंट्रोल नहीं है। मतलब कि यह बात तय ही नहीं है कि देश से बाहर कितना पैसा भेजा जा सकता है और कितना मंगवाया जा सकता है। लिहाजा, क्रिप्टो करेंसी खरीद कर उसे देश के बाहर आसानी से भेजी जा सकती है और फिर उसे पैसे में रूपांतरित किया जा सकता है। 

(6) क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से सुरक्षित है। बस आपको उसके लिए ऑथेंटिकेशन रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ऐसी करेंसी ब्लॉकचेन पर आधारित है। लिहाजा, किसी भी प्रकार का ट्रांजैक्शन करने के लिए पूरे ब्लॉकचेन को माइन करना पड़ता है।

हानि 

 इसका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि वर्चुअल करेंसी होने के कारण इसमें सौदा जोखिम भरा होता है. 

(1) इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है

(2) इसका नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं.

(3) क्रिप्टोकरेंसी अत्यधिक अस्थिर है।

(4) क्रिप्टोकरेंसीलेनदेन मे अपरिवर्तनीय हैं।

(5) क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग अवैध गतिविधि या डार्क वेब में हो रहा है।


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