Eastren Rajasthan Canal Project-ERCP
राजस्थान में एक समय ऐसा था कि हरियाली से हरा-भरा था जिसके कारण इस क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व अधिक है वर्तमान में अब पूर्वी राजस्थान में पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है वातावरण में बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह क्षेत्र सूखाग्रस्त हो गया है इस क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा डार्क जोन बन गया है पानी की समस्या का एक ये भी कारण हैं की इस शेत्र में जनसंख्या अधिक होने के कारण जल का अत्यधिक दोहन होने के कारण भूमि का जलस्तर बिल्कुल ही डाउन हो गया हैं।
ERCP योजना:-
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) राजस्थान के 13 जिलों को लाभ पहुंचाएगी। 13 जिलों के नाम है अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बांरा झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर और करोली हैं यह परियोजना पीने के पानी और 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की पूर्ति करेगी। यह योजना पार्वती, काली सिंध, चंबल नदी को जोड़कर पूर्वी राजस्थान में पानी की पूर्ति करने की योजना है पूर्वी राजस्थान में नहर का जाल बिछा कर पेयजल के साथ-साथ सिंचाई पूर्ति की पूर्ति करेगा। जिससे कि वापस से पूर्वी राजस्थान हरा-भरा हो जाएगा।
कितना लाभ होगा
यह योजना राजस्थान के 23.67 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करेगी ओर साथ ही राजस्थान की 41.13 प्रतिशत आबादी को लाभ मिलेगा।
वर्तमान में ERCP योजना की स्थिति
इसी योजना की लागत 40 हजार करोड रुपए हैं इतनी बड़ी राशि को एक अकेला राज्य वहन नहीं कर सकता। इसलिए राजस्थान सरकार चाहती है कि इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिले। राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने से केंद्र सरकार को कुल लागत का 90 प्रतिशत पैसा देना होगा। यह योजना अभी केंद्र सरकार व राज्य सरकार के बीच फंसी हुई है आने वाला वक्त ही बताएगा कि यह योजना कब धरातल पर आएगी।
ERCP से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- यह योजना 13 जिलों के लिए है
- इस योजना से पेयजल एवं सिंचाई के लिए लाभदायक होगी।
- यह योजना 40 हजार करोड़ रुपए की है।
- अगर इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलता है तो 90 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार को देना होगा।
- इस योजना से राजस्थान का 23.67 प्रतिशत हिस्सा कवर होगा।
- 41.13 प्रतिशत आबादी को लाभ होगा।
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