ठंडे मौसम में उष्णकटिबंधीय पौधों को गर्म रखने के लिए आवरण बनाने की प्रक्रिया में इस विधि का प्रयोग किया जाता है इस प्रकार के आवरण को ग्रीनहाउस कहते हैं
कुछ गैसे( कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प)प्रकाश की किरणों को पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाने से रोकती है वायुमंडल में विद्यमान इस प्रकार की गैसों में वृद्धि संसार के औसत तापमान को बढा सकती है इस प्रकार के प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं
कार्बन डाइऑक्साइड (Co2) इस प्रकार की ग्रीनहाउस गैस है जो पृथ्वी के चारों और एक आवरण बनाए रखी है जिससे सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को पृथ्वी के टकराने के पश्चात वापस जाने से रोकती है। जिससे की पृथ्वी पर दिन और रात का तापमान लगभग समान बना रहता है
दूसरी ओर वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड में वृद्धि से वायुमंडल में उष्मा की वृद्धि होगी । इस प्रकार के कारण हो द्वारा वैश्विक उष्मीकरण की स्थिति उत्पन्न हो रही है यह एक सोचने वाला विषय है। जिसके कारण तापमान बढ़ने से पहाड़ पर जमी बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा । इससे की समुद्र के आसपास बसे शहरों पर संकट आ सकता है क्योंकि समुंदर का जलस्तर बढ़ने से पानी शहरों मे प्रवेश करने पर जल मग्न हो सकते हैं ।
ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने के उपाय (ways to reduce the Greenhouse effect):-
(1) नवीनीकरण ऊर्जा स्त्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का अधिक उपयोग।
(2) टीवी रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर आदि साधनों का कम उपयोग।
(3)वाहनों का प्रयोग कम करें या फिर , इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करें।
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