हम देखते हैं कि आग लगने की घटनाएं जब घटित होती है तो जन-धन की अपार क्षति होती है इस क्षति से काफी दुख होता है ज्यादातर यह घटनाएं अचानक होती है या फिर कभी-कभार मनुष्य द्वारा भी चला कर आग लगा दी जाती है।
यह आग लगने की घटनाएं शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में या फिर जंगली क्षेत्रों में घटित होती है
शहरी क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं AC, पंखे, कूलर और इलेक्ट्रिक उपकरणों के उपयोग के बढ़ने के कारण लोड बढ़ जाता है ऊपर से प्रकृति का तापमान ज्यादा होता है जिससे कि किसी भी वस्तु का ज्वलन ताप कम हो जाता है और आग जल्दी लगती है उपकरणों का लोड बढ़ने से स्पार्किंग, शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगती है
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग ज्यादातर प्रकृति द्वारा प्रदत्त चीजों का इस्तेमाल करते हैं आग लगने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है ईंधन, ऑक्सीजन और तापमान। जब इन तीनों चीजों की पर्याप्त मात्रा हो जाती है तो आग लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है
जब गर्मियों के दिनों में गर्मी अपने परवान पर होती है तो तापमान की बढ़ोतरी बहुत ज्यादा होती है जिससे कि आग लगने की संभावना ज्यादा होती है गर्मी के दिनों में तापमान बढ़ने से एक हल्की चिंगारी भीषण आग लगा सकती है
किसी भी ईंधन का तापमान के बढ़ने से ज्वलन ताप कम हो जाता है जिससे कि आग जल्दी पकड़ लेती है इसके विपरीत सर्दियों में तापमान कम होता है जिससे कि किसी भी ईंधन का ज्वलन ताप में बढ़ जाता है आग लगने की संभावना कम हो जाती है।
एक उदहारण के तौर पर देखें तो एक सुखी लकड़ी और एक एक गीली लकड़ी हैं। आप जानते हैं एक सुखी लकड़ी जल्दी आग पकड़ लेती है क्योंकि सुखी लकड़ी का ज्वलन ताप कम हो जाता है बजाए एक गीली लकड़ी के।
इसलिए गर्मियों में किसी भी ईंधन का ज्वलन ताप कम होने से आग जल्दी लग जाती है।
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