जैविक खेती (Organic Agriculture)
आज आपको जैविक खेती के बारे बता रहे है जैविक खेती आज के समय में अतिआवश्यक हो गई है क्योंकि आज के समय में अजैविक खेती से विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हुई है। भारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और साथ ही कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय को बढ़ाने के लिए हरित क्रांति (1966-1967) लाई गई । हरित क्रांति के समय अधिक उत्पादन के लिये खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ा जिससे सीमांत व छोटे कृषक के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैं।
हरित क्रांति के समय कृषि उत्पादन बढ़ाने की इस होड़ में “अजैविक खेती” (inorganic farming) के तहत आज की आधुनिक तकनीक, रासायानिक खाद और कीटनाशक दवाईयां के इस्तेमाल से किसानों ने कृषि उत्पादन में काफी अच्छी बढ़ोत्तरी हासिल की है। लेकिन यह रासायानिक खाद और जहरीले कीटनाशक दवाओं की वजह से फसल की गुणवत्ता में काफी गिरावट आयी है। इतना ही नहीं यह कृत्रिम खाद और कीटनाशकों के उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही साथ मानव प्रजाती के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड रहा है और कई तरह की बीमारियां भी पाई गई है। इस दौरान एक गंभीर बीमारी कैंसर फैली है जो इन अजैविक खेती की वजह से हुई है।
इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षों से निरन्तर टिकाऊ खेती के सिद्धान्त पर खेती करने की लिए जोर दिया जा रहा हैं जिसे प्रदेश के कृषि विभाग ने इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए, बढ़ावा दिया जा रहा हैं जिससे की इस जैविक खेती प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा है।
जैविक खेती क्या होती है
ये जैविक प्रणाली बहुत पुरानी है इसमें श्रम और समय दोनो ज्यादा लगते हैं जैविक खेती को हम प्राकृतिक या परंपरागत कृषि प्रणाली भी कह सकते है जो प्रकृति, जानवरो और मनुष्य को बिना नुक़सान पहुंचाये किया जाता है। जैविक प्रणाली मै कोई रासायनिक खाद या कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होता है। इसमें पालतू जानवरों का गोबर-मूत्र,कंपोज खाद,जैविक खाद,वर्मी खाद तथा हरी खाद का उपयोग होता है। जो कि पर्यावरण अनुकूलित एवम् खेती के लिए फायदेमंद होता है।
जैविक खेती के प्रकार
- हरी खाद
- गोबर खाद
- केंचुआ खाद
- फसल चक्र
- जैविक खाद
- पशुपालन
- फसल चक्र
- जैविक व्यवस्थापन
जैविक खेती के लाभ
- जैविक खेती सस्ती होने के कारण किसानों की आर्थिक लाभ होता है
- जैविक खेती से मिट्टी के पोषक तत्व बने रहते हैं अर्थात मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है
- अजैविक खेती से मृदा में पानी सोखने की कमी आ जाती है जिसके कारण पैदावार अच्छी नहीं होती है और और जैविक खेती से मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता में कमी नहीं आती है
- जैविक खेती से पैदावार बड़ती है
- जैविक खेती के कारण पर्यावरण नुकसान नहीं होता है जैविक खेती से किसी भी चीज को कोई हानि नहीं पहुंचती है अर्थात पर्यावरण अनुकूल है
- जैविक खेती से फसलों में कीटनाशक दवाइयां आदि का छिड़काव नहीं करना पड़ता है जिससे न तो किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और नहीं कोई बीमारियां पैदा होती है।
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